उड़ती हुई तितलियों की झलक, मधुमास की रागिनी सहलाती
प्यार से भरी हर एक पलक, प्रकृति को नई दास्तान सुनाती।
फूलों की खुशबू संग रंगीन, फिरती है वे दिल की धड़कनों में
आसमान की उचाईयों से सहमी, पतंगों की तरह ख्वाबों में।
कुहू-कुहू कर अब बने गीत, प्यार के संग जैसे नाच रही है ख़ुशी का तार दिलों में बींध, दर्द के बंधन से छूट रही है।
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