तुम बिन कैसे गुजारुँ यह लम्हात सनम, तुम्हीं से दिल के हर एक जज़्बात सनम। आँखों से झर झर आँसू झर रहे निशदिन, डसती है मुझको नागिन सी ये रात सनम। तुम साथी,तुम सखा तुम हो प्राणों से प्रिय, बिन तेरे किससे कहूँ दिल की बात सनम। #लौट आओ कि ढल रही ये साँझ सुहानी, चाँद तारों के बीच हो हंसी मुलाकात सनम। कैसे लिखे तुम बिन 'स्नेहा' ग़ज़ल औ गीत, आकर दो इस विरह वेदना से निजात सनम। #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #ग़ज़ल #काफ़िया#आत #रदीफ़#सनम