सिर्फ तुम होती तुम्हारी यादें न होती आज फिर इस रात ने साथ देने से इनकार कर दिया... आते आते तेरी यादे साथ ले आया... हालांकि मुश्किल नहीं एक रात तेरी यादों में तड़प के काट लेना... पर कम्बख्त ये सूरज कल फिर छुप जायेगा... आता हैं सुबह सुबह बाहें पसारे गुलाबी किरणो के साथ... और साझं होते होते छोड़ जाते है इस काली रात को तुम्हारी खुबसूरत ख्वाबो में जीने के लिए... काश ये डरावनी राते न होती... तुम होती सिर्फ तुम होती... सिर्फ तुम्हारी यादें न होती... दिन तो होता कम्बख्त ये राते न होती... -- श्री शुभम कुमार #सिर्फ तुम होती तुम्हारी यादे न होती...