हमारे लब्ज़ों के अंदाज़ से तुम कहाँ वाक़िफ़ हो, हम उन्हें भी इश्क़ को अहसास करना सीखा देते हैं, जिन्हें मोहब्बत का कोई शौक भी नही हो। ये लब्ज़ कुछ कहना चाहते हैं आपसे, इनकी ख्वाहिश है बस उस मोड़ पे मिलने की, जहाँ खामोशियाँ भी मुश्किल से मिलती हैं, जहाँ से एक सूखी नदी में बस जज्बात बहते हैं, क्योंकि आप तो वक़्त भी थाम लेते, अगर दिल से हमारे जज्बात-ए-लब्ज़ सुन लेते, हमारे लब्ज़ों के अंदाज़ से तुम कहाँ वाक़िफ़ हो, हम उन्हें भी इश्क़ को अहसास करना सीखा देते हैं, जिन्हें मोहब्बत का कोई शौक भी नहीं हो। इस अहसास को एक हसीं ख्वाब ही समझना, इस संगीत को एक मधुर साज ही समझना, क्योंकि फूल बेहतर और भी हैं गुलाब से, ये खुश्बू के लिहाज से समझना, और जो आपको दास्तान-ए-हकीकत लगे, उसे हमेशा हकीकत मत समझना, क्योंकि आप तो वक़्त भी थाम लेते, अगर दिल से हमारे जज्बात-ए-लब्ज़ सुन लेते, हमारे लब्ज़ों के अंदाज़ से तुम कहाँ वाकिफ़ हो, हम उन्हें भी इश्क़ को अहसास करना सीखा देते हैं, जिन्हें मोहब्बत का कोई शौक भी नहीं हो। अंदाज़-ए-लब्ज़