बुद्ध जब तक थे युवा सिद्धार्थ थे गीता ज्ञान से पूर्व के से पार्थ। सुख, वैभव पूर्ण ऐशो आराम लेकिन अंजान था उनका नाम। माया का जब हुआ उन्हें भान राजसुःख लगने लगा श्मशान। महात्मा बुद्ध बन गये वे जब फिर पहचानने उन्हें उन्हें सब। ©Kamlesh Kandpal #Budh