मैं नही सुलझा पा रही हूं अपने बीते अतीत के पन्नो पर लिखी रहस्यमयी लिखावट को महसूस होता है ऐसे मानो संध्या होते ही संसार मे घेर लेती है एक काली उदासी दुनिया से लड़ लेती हूं पर खुद से क्यो भाग जाती हूं उस अंधेरे की तरफ जहां पर सब कुछ धुंधला ही दिखता है आजीवन बहुत देर हँसने के बाद अचानक क्यो मैं अक्सर खामोशी से घिर जाती हूं अपने बारे में लिखने बैठु तो क्यो भीग जाती है मेरी कागज सी जिन्दगी क्यो फैल जाती है उसकी काली स्याही न जाने कितनी रहस्यमयी उलझनों से घिरी हूँ मैं। ©Anjali Verma जीवन की उलझन #मेरी_कलम_से✍️ #कविता #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से