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गड़बड़ निश्चय *********** तू बाला बल खाके चलती मुड़-म

गड़बड़ निश्चय
***********
तू बाला बल खाके चलती
मुड़-मुड़ कर क्यों आंखे मलती
डेढ़ नयन में दिक्कत है क्या?
या हो गई मुझसे कोई गलती।।
***********
गाल खुड़-खुड़े होंठ पिचाशी
हद से बढ़ गई है उवाशी
दांत चिहाड़े खुरपी जैसे
बाल फसल हो जैसे रबी।।
***********
सचमुच लचक-लचक के चलती
या ढीली हड्डी की गलती
तुझको देख दीवाना होऊं
दिल पे बस कंहा मेरी चलती।।
***********
बोले तो कोई काक पुकारे
याद न आना सांझ-सकारे
सुसाइड को सोच रहा हूं
पर दिल ये किस्मत से हारे।।
***********
अब देखूं तो राह बदल लूं
चुपके चुपके दूर निकल लूं
क्या देखा किसको मै बोलू
भूतनि से कम  क्या तुमको तौलूं।।
************
इश्क पे ताला जड़ देता हूँ
खुद का पीड़ा हर लेता हूँ
पता चला अब जाके मुझको
निश्चय मैं गड़बड़ लेता हूँ

दिलीप कुमार खां"""""अनपढ़"""" #गड़बड़ निश्चय
गड़बड़ निश्चय
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तू बाला बल खाके चलती
मुड़-मुड़ कर क्यों आंखे मलती
डेढ़ नयन में दिक्कत है क्या?
या हो गई मुझसे कोई गलती।।
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गाल खुड़-खुड़े होंठ पिचाशी
हद से बढ़ गई है उवाशी
दांत चिहाड़े खुरपी जैसे
बाल फसल हो जैसे रबी।।
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सचमुच लचक-लचक के चलती
या ढीली हड्डी की गलती
तुझको देख दीवाना होऊं
दिल पे बस कंहा मेरी चलती।।
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बोले तो कोई काक पुकारे
याद न आना सांझ-सकारे
सुसाइड को सोच रहा हूं
पर दिल ये किस्मत से हारे।।
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अब देखूं तो राह बदल लूं
चुपके चुपके दूर निकल लूं
क्या देखा किसको मै बोलू
भूतनि से कम  क्या तुमको तौलूं।।
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इश्क पे ताला जड़ देता हूँ
खुद का पीड़ा हर लेता हूँ
पता चला अब जाके मुझको
निश्चय मैं गड़बड़ लेता हूँ

दिलीप कुमार खां"""""अनपढ़"""" #गड़बड़ निश्चय