कभी.....लौट आओ न तुम अपने संग नए मौसम की रंगत मेरी प्रतिक्षाओं का अंजाम लिए... गाहे बगाहे खुशनुमा पैग़ामो की नई मुलाकातों की बहार लिए... मुझमें महकती तेरी खुश्बुओं के साये प्रगाढ़ आलिंगनों की कतार लिए...! कभी, लौट आओ न तुम! ©Beena Khanodia Namastey