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" रोज तेरी निगाहों से जगते , कभी दे हसरत सोने की ,

" रोज तेरी निगाहों से जगते ,
कभी दे हसरत सोने की ,
मेरी आवारगी तुम में रम जाये ,
फिर कहीं चाहत ना हो जाने की . "

                       --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" रोज तेरी निगाहों से जगते ,
कभी दे हसरत सोने की ,
मेरी आवारगी तुम में रम जाये ,
फिर कहीं चाहत ना हो जाने की . "

                       --- रबिन्द्र राम
" रोज तेरी निगाहों से जगते ,
कभी दे हसरत सोने की ,
मेरी आवारगी तुम में रम जाये ,
फिर कहीं चाहत ना हो जाने की . "

                       --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" रोज तेरी निगाहों से जगते ,
कभी दे हसरत सोने की ,
मेरी आवारगी तुम में रम जाये ,
फिर कहीं चाहत ना हो जाने की . "

                       --- रबिन्द्र राम