वो तुम्हारे और मेरे बीच के शून्य में जो था तरंगित बहुत गहरी थी छुअन उसकी किन्तु था सब कुछ अस्पर्शित उसी कोमल भाव की स्मृति शेष हृदय में अनुभव नए कुछ बो रही हैं शब्द गूंगे पड गए हैं किन्तु ये आंखें मौन अपना खो रही हैं । #दीक्षा