बेटी क्या लिखूं क्या कहूं.. कि क्या लिखूं क्या कहूं बेटी के बारे में.. हर किसी ने लिखा है, जिसने .जैसा जाना वैसा लिखा बेटी के बारे .में.. बूढ़ी माँ के चेहरे पे जो नूर ला दे वो है बेटी.. बूढ़े बाप की जमाने के सामने जो बोझ हो पर.. उस पिता का जो सुकून, गुरूर हो वो है बेटी.. भाई की जो सूनी कलाई भर दे वो है बेटी.. तमाम परेशानियों को सहकर ससुराल में माँ पापा के सामने हँस दे वो है बेटी... खुद की खुशी को दफन कर सीने में.. घर में खुशियाँ लाये वो है बेटी... खुद जीना भूलकर घरवालो के लिए जो जिए.. वो है बेटी... बेटी है को घर में रौनक है.. बेटियों से ही घर में जीवन है... है नहीं शब्द जो बयां कर पाए बेटी का अस्तित्व.. कहना है बस इतना न समझों बेटी को बोझ.. है वो आज की हिमा दास है वो आज की स्मृति है वो आज अनंत को छूूने वाली.. बेटी है तभी आज और कल है.. बेटी से ही जग रोशन है.. बेटी ही है गहना घर का.. #बेटी #WOD #daughterisapreciousgiftofgod #nojoto #loveurdaughter.. 😊😊😄