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ग़ज़ल भी मेरी है पेशकश भी मेरी है मगर. लफ्ज़ो में

ग़ज़ल भी मेरी है पेशकश भी मेरी है मगर.
लफ्ज़ो में छुप के जो बैठी है वो बात तेरी है.
.न आँखों से छलकते हैं, न कागज पर उतरते हैं
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो बस भीतर ही पलते हैं
मुमकिन हो तो मेरे दिल मे रह लो
इससे हसीन मेरे पास कोई घर नही है #दिलशाद

©कार्तिक जी आँखे मेरी ,,,
   ख़्वाब तेरा ...!!!

#इंतज़ार तेरा ,,,
    इश्क़ मेरा ...!!!

वफ़ा तेरी ,,,
    मोहब्बत मेरी ...!!!
ग़ज़ल भी मेरी है पेशकश भी मेरी है मगर.
लफ्ज़ो में छुप के जो बैठी है वो बात तेरी है.
.न आँखों से छलकते हैं, न कागज पर उतरते हैं
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो बस भीतर ही पलते हैं
मुमकिन हो तो मेरे दिल मे रह लो
इससे हसीन मेरे पास कोई घर नही है #दिलशाद

©कार्तिक जी आँखे मेरी ,,,
   ख़्वाब तेरा ...!!!

#इंतज़ार तेरा ,,,
    इश्क़ मेरा ...!!!

वफ़ा तेरी ,,,
    मोहब्बत मेरी ...!!!
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karthik r

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