تہ بہ تہ زِینَۂ نا اُمید چڑھتے گئے حق سے پرے باطِل جانبِ منزل بڑھتے گئے तह-ब-तह ज़ीना-ए-ना-उम्मीद चढ़ते गए हक़ से परे बातिल जानिब-ए-मंज़िल बढ़ते गए आज हम हर छोटी छोटी बात पर ना-उम्मीद हो जाते हैं, ये भूल जाते हैं की ना-उम्मीदी कुफ़्र है और कुफ़्र हमें ग़लत राह पर ले जाता है। भले कितनी भी मुश्किलात का सामना हो, उम्मीद का दामन कभी नही छोड़ना चाहिए। क्यूं के क़ुरआन कहता है "बेशक मुश्किल के साथ आसानी है"। --------------------------------------------------------------------- तह-ब-तह= step by step । ज़ीना= सीढ़ी । हक़ से परे= सही से दूर । बातिल= ग़लत । जानिब-ए-मंज़िल= मंज़िल की तरफ़ ---------------------------------------------------------- Pleas