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उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । क्षुरस्य धा

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ।
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ।।











"Arise awake and stop not till the goal is reached."

©Shayra
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