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पता नहीं क्यों पर बस पढ़े जा रहा हूं। बिना कुछ सोच

पता नहीं क्यों पर बस पढ़े जा रहा हूं।
बिना कुछ सोचे समझे बोले, बस रटे जा रहा हूं।
कुछ भी सोच नहीं रहा अंतःकरण डोल नहीं रहा।
मस्तिष्क तो बंद है, कोई भी शब्द वाक्य हृदय खोल नहीं रहा।
अनर्गल सा लगता है फिर भी किए जा रहा हूं।
पता नहीं ......।

नौकरी के पीछे अपना सब कुछ कुर्बान करने।
अपना सबसे कीमती, ध्यान और समय अर्पण करने।
किसी और समय की मांग को पूरा करने।
मैं अपने आज को मlरता जा रहा हूं
पता नहीं.....।

©mautila registan(Naveen Pandey) #nightshayari #Hindi #Naukri #Poetry
पता नहीं क्यों पर बस पढ़े जा रहा हूं।
बिना कुछ सोचे समझे बोले, बस रटे जा रहा हूं।
कुछ भी सोच नहीं रहा अंतःकरण डोल नहीं रहा।
मस्तिष्क तो बंद है, कोई भी शब्द वाक्य हृदय खोल नहीं रहा।
अनर्गल सा लगता है फिर भी किए जा रहा हूं।
पता नहीं ......।

नौकरी के पीछे अपना सब कुछ कुर्बान करने।
अपना सबसे कीमती, ध्यान और समय अर्पण करने।
किसी और समय की मांग को पूरा करने।
मैं अपने आज को मlरता जा रहा हूं
पता नहीं.....।

©mautila registan(Naveen Pandey) #nightshayari #Hindi #Naukri #Poetry