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नफ़रत की बस्तियों में मुहब्बत नहीं चली, अफसोस है क

नफ़रत की बस्तियों में मुहब्बत नहीं चली,
अफसोस है कि मेरी शराफ़त नहीं चली।
जब झूठ बोलता था तो चलती थी शहर में,
सच बोलने लगा तो वकालत नहीं चली।

©Himanshu Singh
  नही चली

नही चली #शायरी

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