बारिश की बूँदें, किस्सा मोहब्बत का बता रही। सुहानी रुत में देख चाँद को,ये फिज़ा शरमा रही। वस्ल की रात में, चाँदनी का यूँ मचल उठना, मानो चाँद के दीदार का,वो चिलमन हटा रही । चढ़ चुका प्रेम का परवान, महक उठी फिजायें, रात की रागिनी दुल्हन सी, दीदार को तरसा रही। मिलन का वादा लिए, ढल रहा है पूनम का चाँद, रात बनकर काली घटा , आँचल अपना फैला रही। मिलकर चल रहे दोनों, हमसफ़र बनकर के साथ, देख ये नज़ारा आज, 'गीत' मोहब्बत के सुना रही #सनेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #गजल_सृजन