बादलों के पिछे ये जो चान्द नजर आ रही है कभी वो हमें निहारा करती थी आज हम से अदब से सरमाया करती है मोहब्बत का ये आलम है तब जमाने में हम राहा करते थे आज चान्द हमारे दिल में बसर करती है ©Tafizul Sambalpuri #चान्द