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पिता और परमपिता एक पिता घर का पालक और एक पिता है

पिता और परमपिता

एक पिता घर का पालक और एक पिता है विधाता;
दोनों  का  आश्रय  ही तो  जीवन को सुखद बनाता।।

परमपिता की कृपा से मिलता जीवन का वरदान है;
और पिता के अंश से उपजे सबके तन मन प्राण है।

जल  वायु  फल फूल को सृष्टिकर्ता जग में भरता है;
रोटी कपड़े और मकान की पिता व्यवस्था करता है।

एक बैठकर अंतः करण में सत्य राह दिखलाता हैं;
और दूजा अनुभव देके बाधा से लड़ना सिखाता है।

उचित न्याय  से ईश्वर गुण कर्मों के फल  को देता है;
पर  जीवन  भर  पिता  तेरे  स्वप्न  की नैया खेता है।

दोनों की आज्ञापालन कर यश वैभव का सृजन करो;
दिल  से  उपकारों को मानो कर्तव्यों से भजन करो।।
पिता और परमपिता

एक पिता घर का पालक और एक पिता है विधाता;
दोनों  का  आश्रय  ही तो  जीवन को सुखद बनाता।।

परमपिता की कृपा से मिलता जीवन का वरदान है;
और पिता के अंश से उपजे सबके तन मन प्राण है।

जल  वायु  फल फूल को सृष्टिकर्ता जग में भरता है;
रोटी कपड़े और मकान की पिता व्यवस्था करता है।

एक बैठकर अंतः करण में सत्य राह दिखलाता हैं;
और दूजा अनुभव देके बाधा से लड़ना सिखाता है।

उचित न्याय  से ईश्वर गुण कर्मों के फल  को देता है;
पर  जीवन  भर  पिता  तेरे  स्वप्न  की नैया खेता है।

दोनों की आज्ञापालन कर यश वैभव का सृजन करो;
दिल  से  उपकारों को मानो कर्तव्यों से भजन करो।।
hitendradayal1448

Hitendra

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