White मम गुरु विद्या गुरु करने चला मैं गुरु अर्चन,अथाह समुद्र समान. छोटी कलशी लिया चला मापने सागर का थाह. विद्यागुरु की चरण वंदना, दे आनन्द अपरंपार वैभव पद मे सर्वांग झुके, खुलें मुक्ति का द्वार. ©वैभव जैन मम गुरु विद्यागुरु