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प्रेम प्रेम नारी के हृदय में जन्म जब लेता.. एक कोन

प्रेम
प्रेम नारी के हृदय में जन्म जब लेता..
एक कोने में ना रुक, सारे हृदय को घेर लेता है..!
पुरुष में जितनी प्रबल होती विजय की लालसा..
नारियों में प्रीति उससे भी अधिक उद्दाम होती है..!
प्रेम नारी के हृदय की ज्योति है..!
प्रेम उसकी जिंदगी की सांस है..!
प्रेम में निष्फल त्रिया जीना नहीं चाहती..!!
शब्द जब मिलते नहीं मन के, प्रेम तब इंगित दिखाता है..
बोलने में लाज जब लगती प्रेम तब लिखना सिखाता है..!
पुरुष प्रेम सतत करता है,पर प्रायः थोड़ा थोड़ा..
नारी प्रेम बहुत करती हैं सच है, लेकिन कभी कभी..!
उसका भी भाग्य नहीं खोटा,
जिसको न प्रेम प्रतिदान मिला..!
छू सका नहीं पर इंद्रधनुष ,
शोभित तो उसके उर में है..!!
महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित कविता

©Anokhi
  # प्रेम महाकवि दिनकर जी द्वारा रचित कविता
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Anokhi

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# प्रेम महाकवि दिनकर जी द्वारा रचित कविता

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