बहुत खुशी होती है यह कहते हुए कि हम सभी आजादी की सांसे ले रहे हैं।लोकतंत्र का शासन चल रहा है।पर यह कैसा लोकतंत्र है जहां एक तरफ तो जनता को उसके अधिकारों का एहसास कराया जाता है वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां जनता को अपने पैरों तले कुचल रही है।इसे लोकतंत्र कहे या स्वार्थ तंत्र। क्या सही है क्या गलत, ये विचार करना छोड़ दिया कुर्सी के लिए हमने तो,अपराध से नाता जोड़ लिया एक तरफ सैनिकों को देश का पहरेदार बनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके ही कारनामा पर सवाल उठाते हैं। ये कैसी राजनीति है जहां कुर्सी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता। देश आजाद है या गुलाम ये सभी समझ नहीं आता।महाराष्ट्र के मुंबई में पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएं घटी उससे ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक पार्टियां अपना सिक्का जमाने के लिए मासूम लोगों की जान से खिलवाड़ कर सकती है।यह विचारधारा हमारे देश को आंतरिक रुप से कमजोर करती जा रही है।आज देश की जो हालत है उसमें जरूरत है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर आतंकवाद का सामना करना कि स्वार्थ की राजनीति पर अपनी रोटियां सेके। ©S Talks with Shubham Kumar #Books क्या सच में अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक पार्टियां आतंकवाद फैला रहे हैं?