"एक दीया" (अनुशीर्षक में पढ़े) ●●● -s_r_writes ✍ सुनों ना... आज पूरा दिन बस इस एक सोच में गुजर गयी की ..कितनी बेबसियां कितनी लचारियाँ लेके आता हैं ये प्रेम अपने हिस्से में .... हाँ ..! जबकि मैं चाहती थी अपने हिस्से में तुम्हारें