जिसके क़तरे से मैं जन्मा उसको पेट में रखने वाली ग़ुरबत, दुख, दर्द, मुसीबत दामन मे वो ढकने वाली रोता देख के रोने वाली हंसता देखकर हंसने वाली प्यारी दादी अम्मी के होने से घर घर लगता है। ख़्वाब में भी इस साया ए रहमत को खोने से डर लगता है। मेरी दुआ है मेरे मालिक साया ये सर पर बना रहे ऐसे बुज़ुर्ग शजर का साया पूरे घर पर बना रहे। आमीन सलमान "मुन्तज़िर" A poem for my grandmother. #grandmother #dadijaan #saaya_e_rahmat #duaa #family