किसान फसल और बाढ़ सहारा मेरे जीवन का एक तू था तेरा ही मुझे बस एक आसरा था बहुत सपने लेकर आंखो में ना धूप ना छाव बस मन के लगन में मैंने खेतो में बीज बोया था दिन में सिचता था,तो रात में रखवाली करता था तुझ पर ना अा जाए आंच इसलिए खुद ही तेरे पास रहता था ऐ मेरे फसल तुझसे मैं बहुत उम्मीद रखा था हुई जब वर्षा हल्की,मन बहुत खुश था क्युकी ये मेरे फसलों के लिए अच्छा था पर देखते ही देखते मौसम ने कुछ ऐसा रूप बदला की जो कुछ सोचा था वो सब कुछ हाथ से फिसला शायद कुदरत को यही मंजूर था फिर हल्की वर्षा ने कुछ ऐसा रूप दिखाया की अब चारो तरफ है बाढ़ का साया है किसान के जीवन में इतना कष्ट आया फसल सारा नष्ट और खेत बाढ़ में समाया भयानक ये मंजर देख कर दिल घबराया अब आगे कैसे जिंदगी कटेगी ये सोच कर आंखो में पानी भर आया कहने को तो हूं मै अन्नदाता पर अभी खुद ही नहीं कुछ समझ में है आता खुद को खिलाए या बच्चो को बच्चो को या पशुओं को एक ही तो कमाई का जरिया था वो भी अब पानी का दरिया था सपना मेरा टूटा था क्यों की तू ही तो मेरा अपना था ~विश्व प्रकाश #New #poem #Hindi #vishwaprakash #flood Samitaroy