जब हमारी बाते कोई नही समझता है जब भीड़ में भी अकेलापन लगता है कोई अपना भी जब चोट दे जाता है तब यही किताब तो होता है जो हमें सम्भालता है टूटे हर जज्बात से हमें उभारता है हर किसी के ऊंचे सपने को यही तो पंख लगाता है फिर इसे समझना क्यों मुशि्कल होती है किताबें इतनी गहरी क्यों होती है? किताबें इतनी गहरी क्यों होती हैं#