दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो शहरयार ( पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें ) #NojotoQuote Muntakhab Shahryar Ghazal शहरयार की ग़ज़ल हिंदी मैं दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो ख़्वाब देखो कि हक़ीक़त से पशेमानी न हो क्या हुआ अहल-ए-जुनूँ को कि दुआ माँगते हैं