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White धागे कमजोऱ चुने शायद, हमने रिश्तों की बुनाई

White  धागे कमजोऱ चुने शायद, हमने रिश्तों की बुनाई में,
उम्र  भर  से  लगे  हुए हैं, बस  उसी  की  तुरपाई में,

अपने होकर भी जो हमें, कभी अपने से नहीं लगते,
आँखों में ठहरे हैं कब से, मग़र  सपने से नहीं लगते,

उम्र बीती जा रही हैं, बस इन्ही धागो की उलझन में,
कि एक रोज महक जाए वो, इस दिल के आँगन में।।

©poonam atrey
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