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// स्कूल के दिन // स्कूल के दिनों की कहानी, आज भी

// स्कूल के दिन //

स्कूल के दिनों की कहानी, आज भी याद है जुबानी,
खट्टी मीठी यादों की ये कहानी,है बचपन की एक निशानी,

पीठ में बस्ता टांगे, गले में लटका कर पानी की बोतल,
जब दोस्तों के साथ जाते थे स्कूल मच जाती थी हलचल,

स्कूल पहुंचने पर भी बातों का खत्म ना होता सिलसिला,
आज भी खुशियों से भर देता है मन यादों का वो बुलबुला,

देर से स्कूल पहुंचने पर वो मैदान के चक्कर लगाना,
प्रेयर में जाने के डर से क्लास रूम में ही रुक जाना,

कितने खूबसूरत दिन थे वो कितनी सच्ची थी शैतानियां,
मस्ती के मूड में रहते थे हरदम और करते थे नादानियां,

छुट्टी के लिए पेट दर्द का बहाना और मां की हमदर्दी पाना,
दोस्तों का घर पर मिलने आना छुपकर खूब मस्ती करना,

टीचर की डांट के डर से बड़े नाखूनों को दांतो से चबाना,
बोर हो जाने पर पानी पीने का बहाना बनाकर बाहर जाना,

टीचर की डांट में भी हम ढूंढ लेते थे मस्ती का बहाना,
कितना मजेदार हुआ करता था वो स्कूल का ज़माना।

©Mili Saha
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