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गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले चले

गुलों   में   रंग   भरे   बाद-ए-नौ-बहार   चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले

क़फ़स उदास  है  यारो  सबा  से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले

#फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

©Navash2411
  #नवश