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हम गुजरे ऐसे मुकाम से अपने तो अपने दरख़्तों का भी

हम गुजरे  ऐसे मुकाम से अपने तो अपने दरख़्तों का भी साया ना रहा! ताउम्र गुजार दी मैंने भलाई का फलसफा तो देखो ,पाकर तरक्की का शिखर मेरा हमदम मेरा यार ना रहा !हम गुजरे ऐसे मुकाम से अपने तो अपने दरख्तों का भी साया ना रहा!  इस बेदर्द जमाने में अपनों की क्या बात करें मेरे साथ तो मेरा साया भी ना रहा! हम गुजरे ऐसे मुकाम से..........................................

©Dinesh Kashyap
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