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फिर किसी मोर पर मिल जाऊ तो मुह़ फोर लेना पुराना इश

फिर किसी मोर पर मिल जाऊ तो मुह़ फोर लेना पुराना इशक है फिर उभरा  तो कयामत आ जाएगी खाब  ख्वाहिश और लोग जितने कम कम स
ही  उतना अच्छा है तामान नीदे गिरवी है उनके पास जारा सी मोहाब्त ली थीं जिससे मै नजर ना आऊ और  तुम बेचैन ही जाऔ इशक मे  ऐसा मुकाम चाहिये मुझे एक घुटन सी होती है दिल है दिल मे जब कोई दिल मे तो रहता  है पर साथ नहीं  जो लड़की   अपना‌ रिशता बचाने के लिए  हाथ   तक। जोड़ दे उसकी मोहब्बत कुभी झूठी नहीं ही सकती    दिल छू जाए तो शोयर जारूर करना।  ‌Gulzar shayari

©Premika Daimari
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