सपने बड़े हैं मेरे कदम छोटे है इस सोने की टकसाल में हम सिक्के खोटे है लंबा सफर है मंज़िल ओझिल है मेहनत किस्मत है सफलता बोझिल है धीरे धीरे साथ चलेंगे बिगड़ते हो हालत चलेंगे मंज़िल दूर है तो क्या साथ चलेंगे फतेह करेंगे। #कलमकार #एकलाचालो #