जितना भी कहूं कम होगा जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l धड़कता है ये धड्कन बनकर देश के करोड़ों लोगों में, बहता है ये लहू बनकर इसे चाहनेवालों के रगों में l सरल है भाषा ये बोलने में है आसान, मात्र बोली नहीं ये बल्की पूरे देश की है पहचान l हिन्द देश के हम निवासी हिंदी है हमारी शान, इसके पिरोए "एकता" माला में बंधा है अपना हिंदुस्तान l हिन्दी के सम्मान में जितना भी कहूं कम होगा जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l धड़कता है ये धड्कन बनकर देश के करोड़ों लोगों में, बहता है ये लहू बनकर इसे चाहनेवालों के रगों मेंl