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बटके हुए पंछी को, मानो एक बसेरा मिल गया मेरी अंधे

बटके हुए पंछी को, मानो एक बसेरा मिल गया

मेरी अंधेरी रातों को, मानो एक सवेरा मिल गया 

और मेरी जिंदगी में आए हो तुम, कुछ इस तरह

कि मानो कब्र में पड़ी लाश को,सांसों का एक सहारा मिल गया

©K R Shayar
  #Nightlight#दोस्ती#फ्रैंड#सहारा_मिल_गया  कवि मोहन 'रिठौना' Pradeep kannaujiya Chanda Shrawan Rajasthani udass Afzal Khan