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ये कौन मानवता कुचलता है, सत्ता में रह रह कर। आज क्

ये कौन मानवता कुचलता है,
सत्ता में रह रह कर।
आज क्यों मानव मर रहा है,
न्याय मंदिर की सीढ़ियों पर।

इनको दिखते हैं ऊंचे लोग ऊंची इमारतें,
दिखता नहीं कोई असहाय सड़क पर।
बेच दिया है ज़मीर अधिकारियों ने खुलकर,
बढ़ बढ़ कर जमीदारों की चौखटों पर।

©Siddharth kushwaha #प्रगतिवादी_कविता #कम्युनिस्ट #मानवता #सत्ता #जमीदार #भारत_दुर्दशा #कानपुर #भारतवर्ष
ये कौन मानवता कुचलता है,
सत्ता में रह रह कर।
आज क्यों मानव मर रहा है,
न्याय मंदिर की सीढ़ियों पर।

इनको दिखते हैं ऊंचे लोग ऊंची इमारतें,
दिखता नहीं कोई असहाय सड़क पर।
बेच दिया है ज़मीर अधिकारियों ने खुलकर,
बढ़ बढ़ कर जमीदारों की चौखटों पर।

©Siddharth kushwaha #प्रगतिवादी_कविता #कम्युनिस्ट #मानवता #सत्ता #जमीदार #भारत_दुर्दशा #कानपुर #भारतवर्ष