कल के जो शौक़ थे ... अब कहां तक ज़िंदगी में ठहरेगा। बहुत कुछ बदला है... आगे सफर में भी बहुत कुछ बदलेगा। क्यो छोड़े ख्वाहिशों का शहर.. जहां मंजिलों का अपना भी घर दमकेगा। परिवर्तन के आसमां में... क्या पता कब उम्मीदों का चांद चमकेगा! ~~शिवानन्द #शौक #जिंदगी #उम्मीद #अपना_घर #ख्वाब #मंजिल