बहोत रह लिया दुनिया के ख़राबे में ईमान वापस लौट के आना चाहता है दिन भर उड़ा था परिन्दा दूर आसमान में शाम को घोंसले में वापस लौट के आना चाहता है जवानी निकल के गयी थी वतन से बहोत दूर बुढापा घर को वापस लौट के आना चाहता है ये अलग बात है कि तवायफ़ हर रात बिस्तर पे होती है दिल मगर उसका अब भी घर वापस लौट के आना चाहता है सामान सारा इस जहाँ का इसी जहान में छोड़ के जिस्म मिट्टी में अपनी वापस लौट के आना चाहता है 7/12/20 YourQuote Baba