तेरा सर मेरे कंधे के सहारे , तू और मैं नदी के किनारे! तूने उस नदी को निहारा , मैंने उसमे कंकड़ मारा ! तू देखे किसी और को मैं ये देख नहीं सकता satendra "satyaj" poetry of love