फ़िलहाल तों तबीयत नासाज़ हैं मुंह से निकल नहीं रहीं आवाज़ हैं शरीर हों रहा हैं गर्म कुछ कर नहीं पा रहें हैं कर्म सर घूम रहा हैं गोल - गोल लग रहा हैं सब झोल - झोल नाक से बह रहा हैं गंगा - जमना कैसे सम्भाल रहा हूँ इसका क्या कहना हाथ - पैर में हों रहा हैं दर्द फ़िर भी अडिग खड़ा हैं यें मर्द ............................................................................ दो दिन से बीमार हैं " Dosto " ....................................... 🥵🥵 . 🤒🤒 . 🤕🤕 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ............................................ ☹️☹️