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मुझे भी अपने दिल की बात कहने दो दो क्षण त

मुझे   भी  अपने   दिल  की   बात कहने  दो
दो क्षण तो अपनी आँखों के सामने रहने  दो

कब   से   तड़प  रही   है  नदी इस  बाँध  में
खोल    दो    रास्ता   अब    इसे   बहने   दो

कबतक    बचाओगे   इस  जर्जर  रिश्ते को
खत्म  करो,  अब  इस  महल  को ढहने  दो

बरसों   बाद   सागर   से   मोती  निकले  हैं
आज  इन  आँखों  से  अश्कों  को बहने दो

तुम्हारी  ज़ुबान  कितनी  काली पड़  गई  है
आख़िर  कोई   तो  सच्च   इसे   कहने  दो

ज़रूरत  नहीं  मुझे  किसी  सहानुभूति  की
'गुरविंदर'  को  ये   दर्द  अकेले   सहने  दो

©Gurvinder Matharu सहानुभूति

#DesiPoet
मुझे   भी  अपने   दिल  की   बात कहने  दो
दो क्षण तो अपनी आँखों के सामने रहने  दो

कब   से   तड़प  रही   है  नदी इस  बाँध  में
खोल    दो    रास्ता   अब    इसे   बहने   दो

कबतक    बचाओगे   इस  जर्जर  रिश्ते को
खत्म  करो,  अब  इस  महल  को ढहने  दो

बरसों   बाद   सागर   से   मोती  निकले  हैं
आज  इन  आँखों  से  अश्कों  को बहने दो

तुम्हारी  ज़ुबान  कितनी  काली पड़  गई  है
आख़िर  कोई   तो  सच्च   इसे   कहने  दो

ज़रूरत  नहीं  मुझे  किसी  सहानुभूति  की
'गुरविंदर'  को  ये   दर्द  अकेले   सहने  दो

©Gurvinder Matharu सहानुभूति

#DesiPoet
gurvindermatharu5678

Honey Honey

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