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"जांबाज" हम घबराते नहीँ हैँ बनावटी दलीलोँ से । हमे

"जांबाज"
हम घबराते नहीँ हैँ बनावटी दलीलोँ से ।
हमेशा ही लड़ते आये हैँ जाहिल जलीलोँ से ।
मजा आता है हमेँ जब सामने वाले में तेल हो ।
बात ही कुछ और हो अगर खुला फरूखाबादी खेल हो ।

लड़ना आता है हमें देश के गद्दारों से,
खत्म कर डालेंगे उन्हें अपने सटीक वारों से,
हमारा  लक्ष्य  है   हर   देशद्रोही  को  जेल   हो ,
मजा  तो  तब है जब हर  दुश्मन के  नाक  नकेल हो ।

डरता नहीं है यहां  कोई  जान  कुर्बान  से,
चढ़ा देगा शीश हर सपूत मां भारती को शान से,
उसको  डर  कैसा  जिसका  हर बच्चा  बेमिसाल  हो
कौन   लांघे  सीमा   को    जिसका   रक्षक  महाकाल   हो ।

 रचना- यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' हम घबराते नहीँ हैँ बनावटी दलीलोँ से ।
हमेशा ही लड़ते आये हैँ जाहिल जलीलोँ से ।
मजा आता है हमेँ जब सामने वाले में तेल हो ।
बात ही कुछ और हो अगर खुला फरूखाबादी खेल हो ।

लड़ना आता है हमें देश के गद्दारों से,
खत्म कर डालेंगे उन्हें अपने सटीक वारों से,
हमारा  लक्ष्य  है   हर   देशद्रोही  को  जेल   हो ,
"जांबाज"
हम घबराते नहीँ हैँ बनावटी दलीलोँ से ।
हमेशा ही लड़ते आये हैँ जाहिल जलीलोँ से ।
मजा आता है हमेँ जब सामने वाले में तेल हो ।
बात ही कुछ और हो अगर खुला फरूखाबादी खेल हो ।

लड़ना आता है हमें देश के गद्दारों से,
खत्म कर डालेंगे उन्हें अपने सटीक वारों से,
हमारा  लक्ष्य  है   हर   देशद्रोही  को  जेल   हो ,
मजा  तो  तब है जब हर  दुश्मन के  नाक  नकेल हो ।

डरता नहीं है यहां  कोई  जान  कुर्बान  से,
चढ़ा देगा शीश हर सपूत मां भारती को शान से,
उसको  डर  कैसा  जिसका  हर बच्चा  बेमिसाल  हो
कौन   लांघे  सीमा   को    जिसका   रक्षक  महाकाल   हो ।

 रचना- यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' हम घबराते नहीँ हैँ बनावटी दलीलोँ से ।
हमेशा ही लड़ते आये हैँ जाहिल जलीलोँ से ।
मजा आता है हमेँ जब सामने वाले में तेल हो ।
बात ही कुछ और हो अगर खुला फरूखाबादी खेल हो ।

लड़ना आता है हमें देश के गद्दारों से,
खत्म कर डालेंगे उन्हें अपने सटीक वारों से,
हमारा  लक्ष्य  है   हर   देशद्रोही  को  जेल   हो ,