मुझसे उसका जाना देखा ना गया, उसके बाद फिर ज़माना देखा ना गया... उसके होने वाले महफ़िल की जान होंगे, हमें फिर शहर में कभी देखा ना गया.. उसके दिए हुए अब ज़ख्म भरने लगे, चरसाज़ों से मेरा दर्द देखा ना गया.. क़ैद हुए बैठे हैं सब अपनी क़िस्मत में, सुना है यहाँ कोई परिंदा देखा ना गया.. बदल गयी है हवा अब मौसम ठंडा है, आशिक़ों में अब वो लावा देखा ना गया.. जिसे छोड़ आए हम यादों के सहारे, हमसे अब वो खाली कमरा देखा ना गया... अब वो किसी और के हुजरे की शान है, मुझसे उसके माथे पर टीका देखा ना गया.. जहन्नुम की देखलीज़ पर एक बैठी है, मुझसे मेरी रूह का तड़पना देखा ना गया... ©Anjali ...देखा ना गया..