माता आओ,दर्श दिखाओ, जग जननी,जग की हितकारी। हम हैं बालक,तुम हो पालक,आओ अब, बनकर महतारी। तुम ममता की,तुम समता की,मूरत हो,तुम तो करुणा की। हुए प्रवाहित, करो समाहित, गंगा में, धारा वरुणा की। #तंत्री_छन्द #जगजननी #विश्वासी