सत्ताधीश जनहित पोषक नहीं, जनतंत्र नामशेष विपक्ष है नहीं । जनता मोबाइल में उलझी हुई, सभी संस्थाएँ नतमस्त हुई सी ।। पत्रिकारिता बाजारू बन बैठी है, नामशेष विपक्ष के लत्ते लेती है । ख़बरें सत्ता के पक्ष में ही देती है, जनहित प्रश्नों से मुँह मोड लेती है ।। कोरोना की एक साधारण दवा, सारे देश में चली उसी की हवा । अरबो हवा बनाने में किया खर्च, चिकित्सक लिखने लगे यही दवा ।। भावनाएं भड़का जनप्रश्न भुलाते, दिल दिमाग़ का तनाव सदा बढ़ाते। कभी न मिले कोई प्रायोजित मुद्दा, इतिहास खोद के जन मन उलझाते ।। हे राम... #aaveshvaani #janmannkibaat #politics #janhitmejaari #janhit