प्रेम मन में समाया...रग रग में रमाया,,,आत्मा तक पहुचाया। मैं निवृत मान एकाकी हो गया,,मन वैरागी हो गया,,फकीर हो गया..अब तृष्णा कही और चली जा।। #साधुवाद #प्रेम #मन