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भरोसे की लाठी गई टूट ऐसे, लिखा हर्फ़ मिट जा

भरोसे   की  लाठी   गई  टूट  ऐसे,
लिखा हर्फ़ मिट जाए पानी पे जैसे, 

ये  आबोहवा  भी  नहीं  रास  आई, 
बदलते  हैं  रिश्ते  भला  कैसे  कैसे, 

जो अरमान थे रह गए दफ़्न दिल में,
सियासत  मुहब्बत   हुए  एक  जैसे,

जहाँ सम हो बंधन टिकेगा वहीं पर, 
बचे   स्वार्थपरता  में   संबंध   कैसे,

सँभलकर है चलना ज़रूरी यहाँ पर, 
ये राह-ए-गुज़र  भी है मझधार जैसे,

जहाँ प्रेम विश्वास कायम हो शक पे,
न  टिकता  निराधार  ही  प्यार जैसे, 

किया सात फेरों में वादा जो 'गुंजन',
ढहा  वो  मकां  ताश  के  पत्ते जैसे, 
    --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भरोसे की लाठी#
भरोसे   की  लाठी   गई  टूट  ऐसे,
लिखा हर्फ़ मिट जाए पानी पे जैसे, 

ये  आबोहवा  भी  नहीं  रास  आई, 
बदलते  हैं  रिश्ते  भला  कैसे  कैसे, 

जो अरमान थे रह गए दफ़्न दिल में,
सियासत  मुहब्बत   हुए  एक  जैसे,

जहाँ सम हो बंधन टिकेगा वहीं पर, 
बचे   स्वार्थपरता  में   संबंध   कैसे,

सँभलकर है चलना ज़रूरी यहाँ पर, 
ये राह-ए-गुज़र  भी है मझधार जैसे,

जहाँ प्रेम विश्वास कायम हो शक पे,
न  टिकता  निराधार  ही  प्यार जैसे, 

किया सात फेरों में वादा जो 'गुंजन',
ढहा  वो  मकां  ताश  के  पत्ते जैसे, 
    --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भरोसे की लाठी#