शब्दों को नया बनाते है, हो कोई भी उल्फत दिमाग की, उसे कविता में सुलझाते है। कभी प्यार-इकरार, कभी ज़िन्दगी सार, कभी यार दोस्त, कभी खुशमिनाज़, जिस दिन जैसा मन हो हमारा , हम तो बस लिखते जाते है, कभी लिखते कभी मिटाते है, शब्दो को नया बनाते है।। लिखते हैं, मिटाते हैं... #लिखतेमिटाते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #munasif_e_mirza #munasifyq