ग़ज़ल मैंने तेरे दिए जख्मों का मरहम तैयार कर लिया हैं, भूल कर तुझे खुदही से प्यार कर लिया हैं झूठे थे वो सारे ख्वाब जो तुमने दिखाए थे अब मैने अपनी मेहनत से उन्हें साकार कर लिया है झूठी लगती है हर बात सच्चे लोगो की भी जब से रोमी ने तुझपे ऐतबार कर लिया है वो रिश्ते जो आए थे मेरी जिंदगी तबाह करने को उन तमाम रिश्तो की जमापूंजी को उधार कर लिया है लौटना हो तो लौट आना खुला है दिल का दरवाजा अब ना होगा हमसे, हद से ज्यादा इंतजार कर लिया है तेरी बेरुखी पे लिखनी दहशत भरी कहानी एकदिन "रोमी" ने अभी से कागज कलम तैयार कर लिया है. रोमी की कलम से...... #veins #Pain #Nojoto