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अक्सर दीवारों संग बातें करी के ज़िन्दगी में क्या कम

अक्सर दीवारों संग बातें करी
के ज़िन्दगी में क्या कमी है और क्या मज़बूरी
आया जवाब ऐसा में बन गया नए जैसा
ना कोई टिगड़म ऐसा वैसा ना ही जेब मे था पैसा
नया मोड़ नई राह नरगिसी नैनों के नए राज़
नए मुकाम वही आवाम नए सुर नए साज़
आंखों में नमी है कमी अनचाही मज़दूरी है मजबूरी
सुनाई देता था बार बार ये जवाब मगरूरी
शबनम-ए-गम में नही रहना था 
कुछ अलग कुछ अलायदा करना था
पूछा उस पैगम्बर से धरती से और खुद अम्बर से
में रस्तो का रण छोड़ चला 
में कस्बो से लम्हे लेकर हर पग तेरी और बढ़ा
में ब्रह्म समानार्थ हु में गुरुज्ञानसम्राट हु
में अर्क हु सतनाम का में धर्म-ज्ञान विराट हु में अर्क हु सतनाम का में धर्म-ज्ञान विराट हु।
अक्सर दीवारों संग बातें करी
के ज़िन्दगी में क्या कमी है और क्या मज़बूरी
आया जवाब ऐसा में बन गया नए जैसा
ना कोई टिगड़म ऐसा वैसा ना ही जेब मे था पैसा
नया मोड़ नई राह नरगिसी नैनों के नए राज़
नए मुकाम वही आवाम नए सुर नए साज़
आंखों में नमी है कमी अनचाही मज़दूरी है मजबूरी
सुनाई देता था बार बार ये जवाब मगरूरी
शबनम-ए-गम में नही रहना था 
कुछ अलग कुछ अलायदा करना था
पूछा उस पैगम्बर से धरती से और खुद अम्बर से
में रस्तो का रण छोड़ चला 
में कस्बो से लम्हे लेकर हर पग तेरी और बढ़ा
में ब्रह्म समानार्थ हु में गुरुज्ञानसम्राट हु
में अर्क हु सतनाम का में धर्म-ज्ञान विराट हु में अर्क हु सतनाम का में धर्म-ज्ञान विराट हु।
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dharm desai

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